म्यूचुअल फंड के नुकसान जान कर हैरान रह जाये गे आप 2023

पिछले कुछ सालो में भारत में इन्वेस्ट को लेकर बहुत ज्यादे सजगता बढ़ गया हैं। अब लोग अपना पैसा इन्वेस्ट करना चाहते हैं (म्यूचुअल फंड के नुकसान जान कर हैरान रह जाये गे आप)और ये बहुत अच्छी बात भी हैं। आज के वर्तमान समय में निवेश के बहुत सारे विकल्प हैं जैसे की स्टॉक, म्यूच्यूअल फण्ड, गोल्ड, बॉन्ड्स आदि। 

 

अगर आप भी म्यूचुअल फंड में इन्वेस्टमेंट करते हैं या इन्वेस्टमेंट करना चाहते हैं तो आप भी अवश्य म्यूचुअल फंड के नुकसान जानना चाहते होंगे । आपको अपने इन्वेस्टमेंट का सही रिटर्न तभी मिलेगा जब आप अपने इन्वेस्टमेंट के सभी पहलुओं के बारें में जानेंगे ।

 

म्यूचुअल फंड के फायदें और नुकसान दोनों होते हैं जिनकी एक सजग इन्वेस्टर के नाते आपको जानकारी होनी जरूरी हैं। इस पोस्ट में हम म्यूचुअल फंड के नुकसान के बारें में बात करने वाले है , जिससे आप सही इन्वेस्टमेंट का निर्णय ले सकेंगे ।


म्यूचुअल फंड के नुकसान

म्यूचुअल फंड के नुकसान है ?


म्युचुअल फंड के नुकसान के पहलुओं को मेने निम्नलिखित तरीकों के माध्यम से बताया है :–

 

1. रिटर्न की गेरेंटी नही


मार्केट में मौजूद कई निवेश आप्शन आपको एक निश्चित रिटर्न का ऑफर करते हैं। लेकिन म्यूच्यूअल फण्ड में ऐसा नहीं होता हैं। म्यूचुअल फंड्स का फायदा सीधा शेयर बाजार से जुड़ा होता हैं जहां हमेशा उतार-चढ़ाव होता रहता हैं।

 

शेयर बजार हमेशा अपने साथ वोलेटिलिटी लेकर चलता रहता है। इसी कारण से म्यूच्यूअल फंड्स का फ़ायदा भी लगातार ऊपर-नीचे होता रहता हैं। म्यूच्यूअल फण्ड में किसी साल में आपको नेगेटिव रिटर्न्स भी मिल सकता हैं। तो कभी पॉजिटिव रिटर्न भी मिल सकता है। 

 

अगर आप रिस्क लेना चाहते नहीं करते या आपकी उम्र रिटायरमेंट के करीब आ गया हैं तो इक्विटी म्यूच्यूअल फण्ड आपके लिए अच्छा ऑप्शन बिल्कुल नहीं है । वैसे कम उम्र वाले निवेशक जो ज्यादा रिस्क लेना पसंद करते हैं उनके लिए ये बहुत अच्छा इन्वेस्ट का विकल्प हो सकता हैं।

 

यदि आप म्यूच्यूअल फण्ड से कम टाइम में ज्यादा मुनाफा कमाना चाहते हैं तो शायद इसमें आपको निराशा हाथ लगने वाला है । परंतु यही निवेश आप धैर्य के साथ लंबे समय तक कर सकते हैं तो आपको निश्चित तौर पर बहुत बड़ा मुनाफा होगा।

 

2. म्यूच्यूअल फण्ड की लागत


जब भी आप म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश करते हैं तो आपके रिटर्न का कुछ हिस्सा एक्सपेंस रेसियो के रूप में फंड होम को चला जाता हैं। Expens ratio फण्ड मैनेजर की सैलरी, फण्ड होम के खर्चों के लिए इन्वेस्टर से वसूल किया जाता हैं।

 

ये खर्चा आपको इन्वेस्ट की छोटे से समयकाल के लिए बहुत कम लगेगा लेकिन लंबे टाइम में यह बहुत ज्यादा हो जाता हैं। जब म्यूच्यूअल फण्ड की अपेक्षा सीधे स्टॉक्स में इन्वेस्ट करते हैं तो आपको expens ratio जैसा कोई charge नहीं देना होता।

 

लेकिन यदि आप अच्छे स्टॉक सिलेक्ट करना नहीं जानते तो म्यूच्यूअल फण्ड के लिए आप जो expens ratio का payment करते हैं वो बुरा विकल्प नहीं माना जाएगा ।

 

जब भी आप किसी mutual fund sceme में इन्वेस्ट करने के लिए जाएं उससे पहले उसके खर्चों के बारे में अच्छे तरह से जानकारी प्राप्त कर लें। यहां आपको ध्यान देना आवश्यक हैं की डायरेक्ट म्यूच्यूअल फण्ड में regular mutual fund की तुलना में कम expens ratio होता हैं। इसलिए आपको जहां तक हो सके direct plan में ही इन्वेस्ट करना चाहिए।

 

3. लॉक-इन -पीरियड


वैसे ज्यादातर mutual fund sceme में लॉक-इन-पीरियड नहीं होता। लेकिन close ended sceme और ELSS sceme में लॉक-इन-पीरियड होता हैं। ELSS में प्रत्येक SIP installment के लिए 3 साल का लॉक-इन पीरियड होता हैं।

 

अतः आपको लॉक-इन-पीरियड वाली sceme में उन्हीं पैसो को invest करना चाहिए जिन की ज़रूरत आपको उस लॉक-इन-पीरियड की अवधि तक ना पड़े। अन्यथा आपको पैसों की अर्जेंट में ज़रूरत पड़ने पर प्रोब्लम का सामना करना पड़ सकता हैं।

 

4. स्टॉक मार्केट से कम रिटर्न


Mutual Fund, Stock Market में निवेश करने का एक indirect तरीका हैं। यदि आप सही रिसर्च और analasis करके शेयर मार्केट में इन्वेस्ट कर सकते हैं तो आप डायरेक्ट शेयर मार्केट में म्यूच्यूअल फंड से कहीं ज्यादा रिटर्न बना सकते हैं।

 

लम्बे समय में समझदारी से किए गए शेयर मार्केट रिटर्न से mutual fund के रिटर्न कम रह जाते हैं। इसके कारण से म्यूच्यूअल फंड थोड़ा कम आकर्षक हो जाता हैं।

 

परंतु आप एक ऐसे इन्वेस्टर हैं जिसे शेयर मार्केट की अच्छी नॉलेज नहीं हैं, न ही रिसर्च के लिए समय हैं तो म्यूच्यूअल फंड इन्वेस्टमेंट आपके लिए बेस्ट आप्शन हो सकता हैं।

 

Mutual fund में आपके इन्वेस्ट किये हुए पैसों को एक प्रोफेशनल फण्ड मैनेजर मैनेज करता हैं जिससे गलती होने की संभावनाएं काफी ज्यादा कम हो जाती हैं।

 

5. अधिक डायवर्सिफिकेश


हालांकि डायवर्सिफिकेशन से mutual fund में ज्यादातर मौकों पर फायदा ही फ़ायदा होता हैं। परंतु कई बार इससे आपका प्रॉफिट अवश्य कम हो सकता हैं।

 

एग्जांपल के लिए जब किसी म्यूच्यूअल फण्ड पोर्टफोलियो के शेयर का प्राइस दोगुना हो जाता हैं तब भी आपके म्यूच्यूअल फंड में इन्वेस्टमेंट की कीमत दोगुनी नहीं होती हैं। इसका कारण हैं यह कि आपका इन्वेस्ट फंड मैनेजर द्वारा अलग-अलग शेयर में विभाजित किया जाता हैं। 

 

इससे जिस शेयर का प्राइस दोगुना होता हैं, वह आपके म्यूचुअल फंड के इन्वेस्टमेंट का एक छोटा सा हिस्सा होता हैं जिससे आपके सम्पूर्ण पोर्टफोलियो पर कोई ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता।

 

यदि आपने शेयर बाजार में डायरेक्ट इस शेयर में इन्वेस्ट किया होता तो आपको ज्यादा लाभ मिलता । परंतु , इसमें रिस्क की मात्रा भी काफी ज्यादा होती हैं। यह पूरी स्थिति एक दम से चेंज हो जाएगी यदि उस शेयर में क्रैश होता हैं ।

 

6. नियंत्रण की कमी


नियंत्रण की कमी म्यूचुअल फंड के नुकसान में सभी बड़ा माना जा सकता हैं। सभी प्रकार के म्यूच्यूअल फण्ड फण्ड मैनेजर्स के द्वारा मैनेज किये जाते हैं। साथ ही फण्ड मैनेजर के साथ expert की एक team भी हो सकती हैं।

 

म्यूच्यूअल फण्ड portfolio से सम्बंधित सभी निर्णय fund manager  के द्वारा ही लिए जाते हैं। इन्वेस्ट का इसमें कोई रोल नहीं होता। क्या सेल करना हैं, क्या पर्चेज करना हैं सभी निर्णय fund manager ही तय करता करता हैं।

 

कुल मिलाकर आपके return पूर्णतया fund manager की योग्यता पर निर्भर करता हैं।

 

7. पोर्टफोलियो को रिव्यु


चाहे आपके mutual fund portfolio को एक पेशेवर फंड manager manage कर रहा होता है । लेकिन एक जागरूक इन्वेस्टर के तौर पर आपका भी जिम्मेदारी बनता हैं कि आप अपने पोर्टफोलियो को समय-समय पर रिव्यू करते रहें ।

 

यदि आपकी कोई mutual fund sceme अंडरपरफॉर्म कर रहा हैं तो आप उसे रिव्यू करके किसी बढ़िया स्कीम से रिप्लेस कर सकते हैं। इसके लिए जरुरी हैं की आप अपनी म्यूच्यूअल फण्ड स्कीम को रिव्यु करते रहें। 

 

परंतु एक ऐसा निवेशक जिसने म्यूचुअल फंड में निवेश तो कर दिया हैं परंतु उसे जानकारी नहीं हैं की म्यूच्यूअल फण्ड को रिव्यु कैसे करें तो उसके लिए ये समस्याजनक हो सकता हैं।

 

इसलिए हो सकता हैं कि वह इसी स्कीम के साथ ही लगातार चलता रहे जो निरंतर रूप से अंडरपरफॉर्म कर रही हैं। इससे इन्वेस्टर को वो रिटर्न नहीं मिल पाते जिनकी वो आशा करता हैं।

 

8. गलत म्यूच्यूअल फण्ड स्कीम चुनना


एक नए इन्वेस्टर के तौर पर हो सकता है कि आप म्यूच्यूअल फंड की किसी गलत स्कीम में इनवेस्ट कर दें जो आपके लक्ष्य और आपकी जरूरत के अनुसार नहीं है । यदि आप एक नए इन्वेस्टर हो या आपको म्यूच्यूअल फण्ड की जानकारी नहीं हैं तो बेस्ट म्यूच्यूअल फण्ड स्कीम चुनना एक मुश्किल काम हो सकता हैं।

 

साथ ही कुछ इन्वेस्टर म्यूच्यूअल फण्ड के अंत के कुछ सालो की परफॉरमेंस को देखकर ही इनवेस्ट कर देते हैं। म्यूच्यूअल फण्ड स्कीम के चुनाव के लिए पास्ट परफॉर्मन्स ही एक मात्र पैमाना नहीं होता हैं ।

 

 

अन्तिम शब्द

 

मैं उम्मीद करता हूं कि आज के इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आपको समझ में आ गया होगा कि म्यूचुअल फंड के नुकसान यदि आपके कोई अन्य मित्र या रिश्तेदार है जो म्युचुअल फंड से ताल्लुकात रखते है उन्हे भी ये पोस्ट अवश्य शेयर करें इससे उनको भी इसके नुकसान के बारे में मालूम हो सकेगा ।

 

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